shabdika
Veena Mawar Author
शनिवार, 17 मई 2025
शनिवार, 1 मार्च 2025
मंगलवार, 28 जून 2022
दर्द भरी यादें
यादों का भी होता है पुनर्जन्म,
तर्पण कर देने के बाद भी
होती है पुनरावर्तित स्मृति में
जाती है जन, पुन:पुन:
हृदय के गर्भ में
तन्हाई
चढ़ती गई शिखर दर शिखर
तन्हाइयों के कारवाँ,ओर
रखती गई हर पायदान पर
तेरे संग का एक फूल
फिर भी नहीं उठ पाए कदम
कई मर्तबा जब जकड़न हुई
तेरे संग की मजबूत तो तोड़
बेड़ियाँ ख्यालों की तेरे
बढ़ती गई इस कठोर जीवन में
अकेले, अकेले, बस अकेले.....
शुक्रवार, 24 जून 2022
फुर्सत
आ मेरी शुभ दोपहरी
कर लूँ याद उन्हे
छू कर तेरी देहरी
बैठ तेरे शांत प्रांगण में
कर लूँ दो मुलाकातें मन में
भीग जाऊँ तेरे
हर एहसास के साथ
सुमिर लूँ उनका नाम
हर श्वांस के साथ
देख असर तेरी एक मुलाकात का
बेअसर हो गया दिल का धड़कना
खड़े हैं अरमानों को समेटे बेसुध
के संग चल रहा है जमाना
ना पूछ आलम मेरी मशरूफियत का
दिल तन्हा है भीड़ भरे विराने में
गुरुवार, 23 जून 2022
शौर्य
मैं गई ठहर तेरी किर्ती पर
हुई स्तब्ध रही दंग देख तेरा शौर्य
किया नमन तेरे हौसले को
भरूँ तेज स्वंय में देख तेरी मूरत को
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Vartika written by veena Mawar at delhi world book fair
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🍂व्यवधान शुभ या अशुभ 🌿 🍂विघ्न या विघ्नो के दूर होने की शुरूवात🌿 🍂खुल रहें है रास्ते या लेना है विराम🌿 🍂बदलने है रास्ते या रहना है तट...






